उत्तराखंड

शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल को दी श्रद्धाजंलि

देहरादून। पुलवामा में लोहा लड़ते हुए स्वर्गीय मेजर बिभूति ढौंढियाल ने प्राणोत्सर्ग किया था उनकी पुण्य तिथि पर चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में उनके निवास स्थान पर पहुंचकर सम्भ्रांत जनता व क्षेत्र वासियों ने एवम व्यास जी सहित मेजर बिभूति के पारिवारिक जनों ने उनकी श्रंद्धाजलि अर्पित की। श्रंद्धाजलि देते वक्त सभी पारिवारिक जनों के साथ अन्य लोगो की आंखे भी नम हुई। पुलवामा में लोहा लड़ते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले बिभूति शंकर ढोन्ढियाल की पत्नी निकिता सैन्य अधिकारी पद पर प्रतिष्ठित है किंतु बिभूति की पुण्य तिथि पर श्रीमद्भागवत का आयोजन 15 से 21 फरवरी तक किया गया है। कथा के बीच मे जब निकिता पहुंची तो सब लोगो की दृष्टि निकिता की तरफ भागवत जी को प्रणाम करते हुए व मेजर बिभूति के चित्र पर पुष्पांजलि देते हुए दिखी तो लोगो की आंखे नम हुई। दरअसल निकिता ने अंतिम सलामी दी थी उसके बाद सैन्य अधिकारी बनने पर बिभूति की माता सरोज धौंढियाल ने शादी करने के लिए पीछे लग गयी तब जाकर शादी करवाई अपने आप ही सब कुछ किया।
निकिता के माता पिता भी सरोज के कहने पर तैयार हुए शादी को सभी रीति रिवाज से सरोज ने भागीदारी निभाई जिस मेजर से शादी हुई वह और निकिता के माता पिता भी कथा में आये हैं तो कुछ माहौल ही अलग सा हो गया। वही प्रसिद्ध कथावाचक ज्योतिष्पीठ व्यास शिव प्रसाद ममगाई जी ने कथावाचन करते हुए कहा कि हमारे यहाँ अपने देश पर मर मिटने का सिलसिला मेजर बिभूति की तरह पहले से चलता रहा। उनकी माता सरोज जी से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है कि रूढिवादिता से ऊपर उठकर बीर बधू होने वाली निकिता का कन्यादान यह कार्य जो सरोज ढों ढ़ियाल ने किया वह प्रसंसनीय है। आचार्य जी ने अभिमन्यु का प्रसंग के साथ मा भारती के लिए मर मिटने वाले बिभूति ढोंढ़ियाल के बलिदान को याद करते हुए कहा की तरह हम अपने बिस्तर पर आराम से सोते हैं किंतु सीमा पर जवानों और खेती में किसान करने वाले किसानों के कारण हम निश्चिंत होकर जीते हैं।

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