मॉब लिंचिंग में मारे गए लोगों का अलग से कोई डेटा नहीं, सरकार ने संसद में बताया
नई दिल्ली। सरकार ने संसद में कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) भीड़ द्वारा यानी मॉब लिंचिंग से मारे गए लोगों के संबंध में अलग से कोई आंकड़े नहीं रखता है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, एनसीआरबी स्वघोषित सुरक्षा दलों अथवा गुटों अथवा भीड़ द्वारा मारे गए अथवा घायल किए गए लोगों के संबंध में अलग से कोई आंकड़े नहीं रखता है। देश के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य के विषय हैं। राज्य सरकारें अपनी विधि प्रवर्तन एजेंसियों के जरिये अपराध को रोकने तथा अपराधियों के अभियोजन के लिए उत्तरदायी हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने भीड़ द्वारा हत्या के खतरे को समाप्त करने के लिए ऑडियो-विजुअल मीडिया के माध्यम से भी लोगों में जागरूकता उत्पन्न की है। साथ ही सरकार ने भीड़ द्वारा हिंसा को बढ़ावा देने की आशंका वाली झूठी खबरों और अफवाहों को रोकने के लिए कदम उठाने हेतु सेवा प्रदाताओं को भी संवेदनशील बनाया है।
उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों को 23 जुलाई, 2019 और 25 सितंबर 2019 को एडवाइजरी भी जारी की थी ताकि वे मॉब लिंचिंग के मामलों पर रोक लगा सकें।
उन्होंने कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मिलने वाले अपराधों को भारतीय दंड संहिता में मौजूद कानूनों के तहत दर्ज करता है। एनसीआरबी ऐसे लोगों का अलग से कोई डेटा नहीं रखता जो भीड़ द्वारा मारे गए या चोटिल हुए हों।