भारत में मानवाधिकारों का मुद्दा उठाऊंगा : एरिक गारसेटी
न्यूयॉर्क। अमेरिका में भारत के संभावी राजदूत एरिक गारसेटी छात्र जीवन से ही भारत के प्रति आकर्षित रहे हैं. उन्होंने हिंदी और उर्दू की पढ़ाई भी की है. लेकिन वह मानवाधिकारों को लेकर सख्त हैं.अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से भारत में अमेरिकी राजदूत के लिए नामित एरिक गारसेटी ने वादा किया है कि वह भारत में मानवाधिकार और रूस से हथियारों की खरीद का मुद्दा उठाएंगे. अमेरिकी सांसदों ने चिंता जताई है कि ये बातें भारत के साथ बढ़ते संबंधों पर असर डाल रही हैं. लॉस एंजेल्स के मेयर गारसेटी मंगलवार को सीनेट के सामने हाजिर हुए. उनकी नियुक्ति पर मुहर लगाने से पहले सीनेट के सदस्यों ने उनसे कई सवाल-जवाब किए. इस दौरान उन्होंने वादा किया कि अगर वह भारत में राजदूत नियुक्त किए जाते हैं तो जोर-शोर से मानवाधिकारों का मुद्दा उठाएंगे. गारसेटी ने कहा, मैं उन्हें विनम्रता से उठाऊंगा. यह दोहरा रास्ता है.
लेकिन मैं वहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ सीधे संवाद करना चाहता हूं. वहां ऐसे संगठन हैं जो सक्रियता से लोगों के मानवाधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उनके साथ मेरा सीधा संवाद होगा. कौन हैं एरिक गारसेटी? गारसेटी दो बार से लॉस एंजेल्स के मेयर हैं लेकिन वह तीसरी बार पद नहीं पा सकते. उन्हें डेमोक्रैटिक पार्टी में उभरते नेता के तौर पर देखा जा रहा है और उनके राष्ट्रपति चुनाव लडऩे जैसी अटकलें भी लगाई जा चुकी हैं. 50 वर्षीय गारसेटी ने सीनेट कमेटी को बताया कि भारत में उनकी दिलचस्पी हमेशा से रही है, जो छात्र जीवन में यूनिवर्सिटी की तरफ से एक दौरे के बाद शुरू हुई थी. उसके बाद उन्होंने हिंदी और उर्दू सीखना भी शुरू कर दिया था. अमेरिका में दोनों ही पार्टियों के लोग आमतौर पर भारत के साथ गर्मजोशी भरे रिश्तों के पक्षधर हैं. इसकी एक बड़ी वजह भारत के पड़ोसी चीन से अमेरिकी की प्रतिद्वन्द्विता भी है. लेकिन भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के दौरान मानवाधिकारों के हनन को लेकर कई अमेरिकी नेताओं ने चिंता जताई है. हिंदू राष्ट्रवादी कहे जाने वाले नरेंद्र मोदी के कई कदमों का अमेरिका में विरोध हुआ है. इनमें विवादित नया नागरिकता कानून भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह देश के अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों को प्रताडि़त करने का जरिया बन सकता है. अमेरिकी सीनेटर बॉब मेनेंडेज सीनेट फॉरन रिलेशंस कमेटी के अध्यक्ष हैं. उन्होंने ऐसी रिपोर्टों का जिक्र किया जिनमें भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर जुल्म बढऩे की बातें कही गई हैं.