भारत की ओर से भी चीन के साथ रिश्तों और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जापान को बहुत महत्व दिया गया है। पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह सरकार की पूर्व की ओर देखो नीति ने भारत को जापान के साथ मधुर और पहले से बेहतर सम्बन्ध बनाने की ओर प्रेरित किया है। भारत के लिए जापान और चीन को लेकर रिश्तों में संतुलन से ज्यादा सेफ्टी और टिकाऊपन मायने रखता है। जापान के करीब 50 साल के इतिहास पर नजर डालें तो इनके प्रोड्क्ट्स की वजह से जानलेवा हादसों का रिकॉर्ड जीरो रहा है। भारत और जापान की शत्रुता एक कॉमन देश से है और वह है चीन। चाणक्य के सिद्धांत के अनुसार अपने पड़ोसी देश के बाद का देश अपना मित्र हो जाता है।इसलिए जापान भारत का एक मित्र देश है। दूसरा कारण है बौद्ध धर्म। भारत से निकला हुआ बौद्ध धर्म जापान में भी फैला और वहां इसने बहुत बड़ा सम्मान हासिल किया है।
आज भी जापान बौद्ध धर्म के कारण भारत के प्रति अभिभूत है और भारत से एक स्वाभाविक स्नेह रखता है।यह एक सांस्कृतिक सम्बन्ध है। मुख्य कारणों में पहला तो हमारी शिक्षा व्यवस्था।जो शिक्षा हमको बचपन में दी जाती हैं वह आगे जाकर जब हम रोजगार की तलाश में जाते हैं तो किसी काम की नहीँ होती।आज हर युवक डिग्री के पीछे भाग रहा हैं भले उसके अंदर काबिलियत 10th क्लास के विद्यार्थी जितनी भी ना हो। पढ़ाई की गुणवत्ता पर बहुत कम ध्यान दिया जाता हैं।दूसरा कारण सरकारी नोकरी का लालच हैं । 25- 30साल का युवक सालों सालों घर खाली इसलिये बैठा रहता हैं कि सरकारी नोकरी करनी हैं मतलब उसकी सीखने की उम्र बहुत तेजी से निकल जाती हैं और जब हार कर वह प्राइवेट नोकरी की तरफ जाता हैं तो ना तो उसमें वह जोश होता हैं जो दस साल पहले था और ना ही उसमें लग्न होती हैं इसलिये वह किसी भी तरह की नोकरी के लिये तैयार हो जाता हैं।
इसी उम्र में भले ही उसके पास रोजगार नहीँ होता पर परिवार का बोझ भी आ जाता हैं। बहुत फर्क हैं कंपनियों में काम करने वाले वर्कर की और काम करवाने वाले मैनेजर की। जापान में काम करने वाले कार्मिक के समय समय पर ट्रेनिग होती हैं जिसमे बहुत खर्चा भी आता हैं।