उत्तराखंड

1947 के विभाजन में जान गँवाने वाले बुजुर्गों की याद में बनेगा स्मृति स्थल

देहरादून। उत्तरांचल पंजाबी महासभा (उपमा) का गठन वर्ष 2000 में हुआ तब से वो सरकार से 1947 विभाजन के समय हिंदू व हिंदुस्तानी रहने के लिये पुरखों की क़ुर्बानियों को जिसे सरकार द्वारा अनदेखा किया गया को मान्यता देने की माँग करता आ रहा था। वर्ष २०१२ में हरिद्वार में अपने पुरखों की याद में व उनको आत्मा शांति के लिये शुरू किये गये उनके वारिसो की संस्था “पंचनद स्मारक ट्रस्ट के साथ मिल कर उपमा ने वृद्ध “ तर्पण श्राद्ध व अरदास कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमे देश भर से आये पुरखों के वारिसो ने सामूहिक हरिद्वार में पुरखों की शहादत कि स्मृति को स्मारक के रूप में खोल कर आने वाली पुश्तों को गोरव प्रदान करने के लिये खोलने का जो संकल्प लिया था उसे उपमा के संरक्षक एवं पंचनद स्मारक ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव जी महाराज ने देहरादून में गत रविवार को उत्तराखंड संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित “ विभाजन विभीषिका स्मृति सम्मान समारोह “ में मुख्य अतिथि उत्तराखंड के युवा तेजस्वी पुष्कर सिंह धामी के सम्मुख रखी तथा अनुरोध किया की हरिद्वार में पर्याप्त भूमि संस्था को दिलवा दे जिस पर उन पुरखों के वारिस सब मिल कर देश का नवाँ अजूबा स्मारक के रूप में बनायेगा।
समारोह में धामी ने बुजुर्गाे को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हिन्दू व हिंदुस्तानी रहने के लिये शहादत देने वाले बुजुर्गाे के सम्मान में स्मारक ( स्मृति स्थल ) बनाने की सहमती प्रदान की साथ ही उन्होंने उत्तराखंड के विकास में समाज के योगदान को सराहा व हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया। पुरखों की क़ुर्बानियों को स्मृति स्थल में संजो कर रखने का आश्वासन समाज के लिये एक बढ़ा सम्मान है जिसने उन बुजुर्गाे के वारिसो का सीना शान से चैढ़ा कर दिया।

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