उत्तराखंड

सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की संख्या ने महामारी का रूप धारण कर लियाः डा. संजय

देहरादून। छठवां संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह 13-17 मई के उपलक्ष्य में संजय आर्थाेपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेन्टर, जाखन, देहरादून द्वारा गुरूकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय, हरिद्वार के जन्तु एवं पर्यावरण विज्ञान के सभागार में आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि एवं वक्ता पद्मश्री से समानित डॉ. बी. के. एस. संजय, ऑर्थाेपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डॉ. गौरव संजय, गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलपति डॉ. रूप किशोर शास्त्री, कुल सचिव डॉ. सुनील कुमार, प्रो. देवेन्द्र सिंह मलिक, डॉ. नितिन काम्बोज, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. नितिन भारद्वाज ने कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की फैकल्टीज के अलावा 300 से अधिक विद्याार्थियों को सड़क सुरक्षा के गुर सिखाये गये। इस वर्ष सड़क सुरक्षा की थीम है स्टीट्स फॉर लाईफ, रु लव 30 है, शहरों में वाहनों की गति 30 किमी/घंटा की गति की सीमा में रखनी चाहिए। वैसे भी दुर्घटना होने पर वाहन की जितनी ज्यादा गति होती है उतनी ज्यादा क्षति होती है।
पद्मश्री से सम्मानित डॉ. बी. के. एस. संजय ने अपने सम्बोधन में बताया कि सड़क दुर्घटनाओं की संख्या एवं दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की संख्या ने देश में एक महामारी का रूप धारण कर लिया है। जो कि कोविड महामारी से ज्यादा भंयकर है। अपने देश में सड़कों पर वाहन चालकों के आक्रामक व्यवहार का प्रदर्शन एक आम बात हो गई हैं। दूसरी बात यह है कि सड़क पर चलने वाले भारतीय यातायात के नियमों को तोड़ने में गर्व महसूस करते हैं। डॉ. संजय ने बताया कि रात की दुर्घटनाऐं जानलेवा होती है। दुर्घटनाओं का आंकलन करने से पता चलता है कि चालक की थकावट, उनमेें नींद का अभाव तथा नशे का प्रभाव प्रमुख कारण हैं। जिसको उत्तराखंड के चम्पावत, तोता घाटी, चकराता एवं असम, महाराष्ट्र की दुर्घटनाऐं इस बात को सिद्ध करती है।

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