स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदाय ने महत्वपूर्ण योगदान दियाः राज्यपाल
नैनीताल/खटीमा। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मंगलवार को सेवा प्रकल्प संस्थान, उत्तराखंड द्वारा खटीमा में आयोजित ‘स्वतंत्रता आंदोलन में जनजाति नायकों का योगदान’ महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस दौरान उन्होंने परिसर में लगी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के चित्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदाय ने महत्वपूर्ण और महान योगदान दिया है। जनजातीय समाजों ने अपने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शक्तिशाली और प्रभावशाली रूप से संघर्ष किया है। जनजातियों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक संगठन को सशक्त किया।
राज्यपाल ने कहा की जनजातीय समाजों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशक्त आंदोलन चलाए, गुड़िया सत्याग्रह, असहिष्णुता के खिलाफ संगठन किया और आर्य समाज, सनातन धर्म सभा जैसे आंदोलनों में भी अपना योगदान दिया। वीर बिरसा मुंडा, सिद्धो और कान्हु मुरमु जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी जनजातियों ने अपने लोगों को विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ उठने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जानों को न्यौछावर करते हुए लोक विद्रोह के माध्यम से अपनी स्वतंत्रता को प्राप्त की। राज्यपाल ने कहा की उत्तराखण्ड में जब जनजातीय समाज की चर्चा होती है तो 5 मुख्य जनजातियां थारू, बुक्सा, जौनसारी, भोटिया एवं राजी समाज का जिक्र आता है। इन सभी जनजातियां द्वारा प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है। जनजातीय समाज का प्रयास, सबका प्रयास, ही आजादी के अमृतकाल में बुलंद भारत के निर्माण की ऊर्जा है। भारत सरकार ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाने का निर्णय लिया है, जनजातीय समाज के आत्मसम्मान के लिए, आत्मविश्वास के लिए, अधिकार के लिए, हम दिन-रात मेहनत करेंगे, जनजातीय गौरव दिवस इस संकल्प को दोहराने का दिन है। राज्यपाल ने कहा की आदिवासी और ग्रामीण समाज में काम करने वाले ये देश के असली हीरो हैं। यही तो हमारे डायमंड हैं, यही तो हमारे हीरे हैं। प्राचीन काल से भारत के विभिन्न जनजाति समुदाय अपनी विशिष्ट जीवन शैली एवं संस्कृति का पालन करते आए हैं और इसी कारण उन्होंने अपना स्वाभिमान जीवित रखा है। जनजातीय समाज ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने अपने सांस्कृतिक संपदा, सामाजिक संगठनों, नेतृत्व और संघर्ष के माध्यम से देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। उनका योगदान हमारे देश की स्वतंत्रता के इतिहास में महत्वपूर्ण है और हमें हमेशा उनका सम्मान करना चाहिए।