देहरादून। ‘अग्याल’ सामाजिक एवं सांस्कृतिक सरोकारों के लिए समर्पित संस्था विगत दस वर्षों से समाज के बीच अपना योगदान देने के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है। संस्था के संस्थापक एवं महासचिव प्रभाकर ढौंडियाल ने बताया कि संस्था ने 17 अप्रैल को अपने स्थापना के 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं। संस्था ने अपनी पत्रिका “अग्याल रैबार” का प्रथम संस्करण प्रकाशित किया है, जिसका विमोचन संस्था के संरक्षक डॉक्टर एम् एस राणा द्वारा किया गया।
मियांवाला देहरादून स्थित, कलिनरी कॉलेज ऑफ़ होटल मैनेजमेंट में आयोजित कार्यक्रम में इस अवसर पर भूतपूर्व अध्यक्ष डा० एम० एस० राणा ने बताया कि कुछ दिनों पूर्व ही संस्था की नई कार्यकारिणी का भी गठन किया गया, जिसके अंतर्गत निर्विरोध रूप से अध्यक्ष पद हेतू डॉ० नीता कुकरेती को चुना गया था, डा० राणा ने नई कार्यकारिणी एवं नव निर्वाचित अध्यक्षा को तथा संस्था की प्रथम पत्रिका के लिए शुभकामनायें दी। इसी क्रम में संस्था की अध्यक्षा डा० नीता कुकरेती ने कविता पाठ करते हुए सभी को मंत्र मुग्ध किया, इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि संस्था समाज में बदलाव लाने के लिए उत्कृष्ट कार्य कर रही है, वह संस्था को भविष्य में और ऊंचाईयों तक ले जाने का प्रयास करेंगी।
इस अवसर पर बोलते हुए संस्था के उपाध्यक्ष सोमनाथ बलोदी में कहा कि वह संस्था से के फाउंडेशन दिनों से संस्था के साथ जुड़े हुए हैं संस्था में जुड़े हुए सभी सदस्यों ने आज तक अपनी धनराशि लगाकर संस्था को सुदृढ़ एवं संकल्पित बनाने का कार्य किया है सभी सदस्य तन, मन एवं धन से सामाजिक कार्य में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं चाहे वह स्वास्थ्य शिविर हो रक्तदान हो या पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई कार्य हो, सभी कार्यों को बड़ी तन्मयता एवं निष्ठा से पूरा किया जाता है। राजेश सिंह राणा ने अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि मैं संस्था के गठन के एक वर्ष पश्चात ही संस्था से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जून 2013 में हुई केदारनाथ आपदा में संस्था के कुछ सदस्यों ने अपनी जान जोखिम में डालकर केदारनाथ के समीप के गांवों तक पहुंच कर वहां के गांव में जिस प्रकार से रसद, स्वास्थ्य सुविधाएं और राशन इत्यादि की पूर्ति की, वह कार्य अत्यंत ही साहसिक व सराहनीय रहा, उस आपदा के बाद से अग्याल संस्था को एक नई दिशा एवं एक नया कार्य क्षेत्र में भी कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ, हम उत्तराखंड के दूरस्थ जिलों में स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने लगे, साथ ही प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान केतहत तृतीय-केदार तुंगनाथ से हमने अपने स्वच्छता अभियान की भी शुरुआत की, जिसके तहत चोपता से मंदिर के प्रांगण तक की सफाई तथा चोपता में कूड़ेदान लगाने की व्यवस्था भी शामिल थी।