लोक प्रशासन को अधिक जिम्मेदार व पारदर्शी बनाने में ऑडिट की महत्वपूर्ण भूमिकाः राज्यपाल
देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने बुधवार को हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र ऑडिटोरियम गढ़ी कैंट में ऑडिट सप्ताह के अवसर पर ‘सीएजी रोल इन प्रमोटिंग गुड गर्वनेंस विषय’ पर आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। यह सेमिनार भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(सीएजी) की समस्त हितग्राहियों तक पहुंच तथा उनके साथ संस्थान के संबंधों की प्रगाढ़ता के लिए यह सेमिनार आयोजित किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल ने उप महालेखाकार नेहा मित्तल द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘देवभूमि उत्तराखंडः द फेसिनेटिंग कल्चर ऑफ सेंट्रल हिमालय’’ का विमोचन किया। यह पुस्तक उत्तराखंड की प्राकृतिक संपदा, चारधाम यात्रा और यहां के स्थानीय समुदायों के रहन-सहन पर केंद्रित है। राज्यपाल ने इसके लिए लेखिका को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। सेमिनार को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सुशासन के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में लोक प्रशासन को अधिक जिम्मेदार तथा पारदर्शी बनाने में ऑडिट की महत्वपूर्ण भूमिका है। पिछले कुछ वर्षों में इस संस्थान ने अपने आप को आलोचक से सुशासन का सूत्रधार बनाया है। संस्थान की छवि गलती खोजने की कवायद के रूप में नहीं बल्कि यह संस्थान सुशासन सुनिश्चित करने में एक मूल्यवर्धक भागीदार बन गया है।
मुख्य सचिव डॉ० एस.एस. संधु ने राज्य के वित्तीय संसाधनों के समुचित प्रयोग में लेखा परीक्षा के महत्व पर बल दिया। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने महालेखाकार के हकदारी सम्बन्धी क्रियाकलापों के महत्त्व पर प्रकाश डाला और सामान्य भविष्य निधि खातों के रख-रखाव के कम्प्यूटरीकरण को सराहनीय कदम बताया। उन्होंने भविष्य निधि खातों से संबंधित जानकारी के लिए टोल फ्री नम्बर जारी करने का अनुरोध किया। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने सुझाव दिया कि व्ययों की लेखापरीक्षा के दौरान नियमों के साथ-साथ उसके लक्ष्यों एवं उपयोगिता पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। भारतीय वन सर्वेक्षण के महानिदेशक अनूप सिंह ने वनों के प्रबंधन में लेखा परीक्षा की महत्ता बताते हुए अपने अनुभवों को साझा किया।