उत्तराखंड

राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज देहरादून का शताब्दी स्थापना दिवस समारोह आयोजित

लखनऊ/देहरादून। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने 13 मार्च 2022 को राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) के शताब्दी स्थापना दिवस समारोह की अध्यक्षता की। आरआईएमसी भारतीय उपमहाद्वीप का पहला सैन्य प्रशिक्षण संस्थान है जिसे ब्रिटिश भारतीय सेना के अधिकारी संवर्ग के भारतीयकरण के हिस्से के लिए भारतीय युवाओं को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए उस समय के प्रिंस ऑफ वेल्स द्वारा 13 मार्च, 1922 को स्थापित किया गया था। आज, आरआईएमसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी, एझिमाला के लिए एक प्रमुख फीडर संस्थान है। समारोह के मुख्य अतिथि को शताब्दी समारोह में पहुंचने पर आरआईएमसी के कमांडेंट कर्नल अजय कुमार द्वारा उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। इसके बाद कैडेटों द्वारा माननीय राज्यपाल के सामने एक शानदार गार्ड ऑफ ऑनर प्रस्तुत किया गया।
इसके बाद स्थापना दिवस समारोह पटियाला ग्राउंड के विशाल लॉन में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि तथा गणमान्य अतिथियों द्वारा पारंपरिक रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह की शुरुआत की गई। तदोपरांत आरआईएमसी के कमांडेंट कर्नल अजय कुमार ने एक विस्तृत एवं सारगर्भित वार्षिक रिपोर्ट पर प्रकाश डालते हुए महामारी का मुकाबला करते हुए इस कालखंड में पिछले दो वर्षों के दौरान कॉलेज द्वारा कैडेटों के शिक्षण-प्रशिक्षण में योगदान और उपलब्धियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। समारोह के दौरान विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जो कॉलेज के शिक्षकों और कैडेटों के बीच सहजीवी संबंधों का प्रतीक था। इस समारोह में कैडेटों द्वारा आरआईएमसी में बड़े होने के अपने अनुभवों के बारे में लिखी गई पुस्तक श्बाल-विवेकश् और कॉलेज के पूर्व कैडेटों द्वारा लिखित पुस्तक श्वैलर एंड विस्डमष् का भी विमोचन किया गया जिसमें राष्ट्र निर्माण में पूर्व छात्रों के योगदान को उजागर किया है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने कैडेटों को सम्मानित करते हुए राष्ट्र की सेवा में आरआईएमसी और पूर्व छात्रों के उत्कृष्ट योगदान की सराहना की। उन्होंने कैडेटों से भविष्य में नेतृत्व की भूमिका और चुनौतियों का सामना करने का आग्रह किया, जो प्रौद्योगिकी के कारण तेजी से बदल रही हैं।

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