फिल्लौरा के शहीद वीर सैनिकों को याद किया गया
देहरादून। गोरखा राइफल्स कान्छी पल्टन (फिल्लौरा) के पूर्व सैनिकों ने गोर्खाली सुधार सभा परिसर में फिल्लौरा की वीर नारियों सहित अध्यक्ष आनरेरी कप्तान भरत सिंह थापा की अध्यक्षता में फिल्लौरा के वीर सैनिकों जो कि युद्ध में शहीद हुये, के लिये दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की। 5/9 गोरखा राइफल्स कान्छी पल्टन का जन्म 01 जनवरी 1963 बीरपुर, देहरादून में हुआ। नये यूनिट के राइजिंग के कुछ ही वक्त बाद सन् 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान नवीं गोरखा राइफल्स के कान्छी पल्टन को युद्ध में शामिल होने का गर्व प्रदान हुआ, जिसके दौरान पाकिस्तान के सियालकोट सेक्टर में पल्टन को दुश्मनों के साथ लोहा लेने का मौका मिला। 6 दिनों तक चले युद्ध में दुश्मनों के 16 टैंक और 26 लौरी थ्रीटन को धराशायी किया और दुश्मनों को भारी नुकसान पहुंचाया, साथ ही 11 सितम्बर 1965 के दिन सियालकोट सेक्टर में युद्ध करते हुये फिल्लौरा पुलिस स्टेशन सहित फिल्लौरा के ऊपर फतह हासिल किया। इस युद्ध में दुर्भाग्यवश यूनिट के 30 जवान वीरगति को प्राप्त हुये और 86 जवान घायल हुये। जिससे उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया।
पल्टन के इस साहस और वीरता के लिये भारत सरकार द्वारा नवीं गोरखा राइफल्स के पांचवी बटालियन कान्छी पल्टन को फिल्लौरा बैटल हॉनर से सम्मानित किया गया। पल्टन के स्वर्णिम दिवस को मनाने के लिये हम फिल्लौरा परिवार हर वर्ष एकत्रित होकर अपने पल्टन का फिल्लौरा बैटल हॉनर डे को बड़े हर्षाेउल्लास के साथ मनाते हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष द्वारा सम्बोधन भाषण से किया गया, इसके पश्चात् हमारे फिल्लौरा पल्टन के योद्धा सूबेदार हरी सिंह खत्री साहब को जो कि 1965 के युद्ध में सम्मिलित थे।