प्रतिष्ठित उत्सव ऑक्टेव-2022 का समापन
देहरादून/श्रीनगर। हमारा देश एक राष्ट्र, एक ध्वज और एक आत्मा है। प्रतिष्ठित उत्सव ऑक्टेव-2022 जिस धरती पर हो रहा है, यही वह स्थान है जहां से पाण्डव स्वर्गारोहण और केदारनाथ गए थे। इस आयोजन के माध्यम से जो झलक दिखलायी गई वह हमारी महाभारत कालीन संस्कृति से मिलती है। उक्त बात प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा रामलीला मैदान में आयोजित तीन दिवसीय प्रतिष्ठित उत्सव ऑक्टेव-2022 के समापन अवसर उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के कलाकारों और दर्शकों कोबतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए कही।
प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तर-पूर्वी राज्यों से हमारा महाभारतकाल से संबंध रहा है। रुकमणी देवी जिनका विवाह भगवान श्रीकृष्ण से हुआ वह अरूणाचल प्रदेश से थीं, अर्जुन का विवाह मणीपुर के राजा की बेटी चित्रांगदा से हुआ, भीम का विवाह नागालैण्ड की जनजाति की हिडम्बा से और दुर्याेधन का विवाह असम, गुवाहाटी के राजा की पुत्री भानुमति से हुआ था। इतना ही नहीं असम की गार्गी जनजाति के लोग स्वयं को रामायणकालीन बॉली और सुग्रीव के वंशज मानते हैं।
संस्कृति मंत्री श्री महाराज ने कहा कि हमारा उत्तर-पूर्वी राज्यों से गहरा आध्यत्मिक जुडाव भी है। असम में मां कामाख्या देवी और त्रिपुरा में मां त्रिपुर सुंदरी बालाजी हमारी आस्था एवं श्रद्धा की शक्ति के केंद्र हैं। ऑक्टेव-2022 मेंआठ राज्य के कलाकारों ने जो सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी हैं वह महाभारतकालीन संस्कृति से मिलती हैं। संस्कृति मंत्री ने ऑक्टेव-2022 के लिए संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि समय समय पर इस प्रकार के आयोजन देश के हर हिस्से में आयोजित होने चाहिएं ताकि हम सभी एक दूसरे की संस्कृति से रूबरू हो सकें।