निर्माण कार्य के धनराशि की सीमा असीमित की जाएगीः महाराज
देहरादून। ग्रामीण निर्माण विभाग का स्वरूप अन्य सभी अभियान्त्रिक विभागों की भाँति होने के कारण निर्माण कार्य किये जाने की सीमा 015.00 करोड़ से बढाकर असिमित किये जाने पर मंथन चल रहा है। चूंकि वर्तमान में विभाग द्वारा अन्य गैर अभियान्त्रिकी विभागों के निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं इसलिए गैर अभियान्त्रिकी विभागों की कार्यदायी संस्था ग्रामीण निर्माण विभाग को बनाये जाने हेतु भी विचार किया जा रहा है।
उक्त बात प्रदेश के पंचायती राज, ग्रामीण निर्माण, पर्यटन, लोक निर्माण, सिंचाई, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने ग्रामीण निर्माण विभाग की स्थापना के स्वर्ण जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में कही।
रिंग रोड स्थित एक होटल में ग्रामीण निर्माण विभाग की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने पर आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में विभागीय लोगो ता अनावरण करने के पश्चात विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों, अभियंताओं और उपस्थित लोगों को स्वर्ण जयंती की शुभकामनाएं देते हुए ग्रामीण निर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ग्रामीण निर्माण विभाग पूरे प्रदेश में उच्च गुणवत्ता युक्त विभिन्न विभागों के आवासीय एवं अनावासीय भवनों के साथ-साथ अन्य निर्माण कार्य भी कर रहा है।
ग्रामीण निर्माण मंत्री ने बताया कि नाबार्ड पोषित एवं राज्य योजना के अन्तर्गत कुल 201 ग्रामीण मोटर मार्गों (लम्बाई 386.663 कि.मी.) का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया, जिसमें 314 ग्रामों की कुल 1,54,993 जनसंख्या लाभान्वित हुई है। प्रदेश में कार्यरत तकनीकी विभागों, कार्यदायी संस्थाओं में ग्रामीण निर्माण विभाग द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्यों हेतु स्थापना व्यय (वित्तीय वर्ष 2021-22 में 7.55 प्रतिशत) न्यूनतम है। उन्होंने कहा कि सरकार की जन उपयोगी योजनाओं को त्वरित गति से पूर्ण करने हेतु विभागीय कार्यक्षमता को बढ़ाया जाना अति आवश्यक है। इसलिए विभागीय पुनर्गठन किये जाने के प्रयास भी किये जा रहे हैं। विभागीय मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि पूर्ववर्तीय राज्य उत्तर प्रदेश में इस विभाग द्वारा लगभग 50 जनपदों में पी.एम.जी.एस.वाई. का कार्य स्वतंत्र रूप से किया जा रहा है।इसी क्रम में इस योजना के अधीन पूर्ण मार्गों के रख रखाव हेतु ग्रामीण निर्माण विभाग को हस्तान्तरित कर विभागीय बजट का प्राविधान किये जाने की योजना है।