गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने को पूरे देश से लाखों सनातनी 20 नवंबर को जुटेंगे दिल्ली में
देहरादून। विशाल गौ प्रतिष्ठा आंदोलन 20 नवम्बर को गोपाष्टमी को दिल्ली के रामलीला मैदान में चारों पीठ के पूज्य शंकराचार्य एवं संत गोपाल मणि महाराज के सानिध्य में होगा। इस कार्यक्रम में गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान दिलाने के लिए पूरे देश से लाखों सनातनी हिंदू पहुंचेंगे। देहरादून में गौमाता-राष्ट्रमाता के ध्वजवाहक गौक्रन्ति अग्रदूत संत गोपाल मणि महाराज के सुपुत्र सुप्रसिद्ध गौकथा वक्ता आचार्य सीताशरण जी महाराज ने कहा कि आज पूरे देश में एक ही नारा व्याप्त हो चुका है गौमाता राष्ट्रमाता। उन्होंने कहा जैसा सभी को विदित है कि पूज्य मणि महाराज पिछले दो त्रदशक से एक ही संकल्प एक ही नारे को लेकर पूरे देश और दुनियां में जनजागरण कर रहे है, क्योंकि इस देश की करोड़ों हिंदुओं की आस्था की मूल केंद्र भारतीय गौ माता को राष्ट्र माता का संवैधानिक सम्मान मिलना चाहिए जिसके लिए पूज्य महाराज जी तीन बार पहले भी दिल्ली के अंदर विशाल को प्रतिष्ठा आंदोलन कर चुके हैं। सभी राज्यों की राजधानियों में तथा देश के 676 जिलों में स्वयं जाकर के गौमाता राष्ट्रमाता जन जागरण अभियान पहले कर चुके हैं अब इसी क्रम में चौथी बार चारों शंकराचार्यों के सानिध्य में आगामी 20 नवंबर गोपाष्टमी को दिल्ली में गौमाता-राष्ट्रमाता महा जनांदोलन करने जा रहे हैं।
सीताशरण ने आगे कि अभी चार दिन पूर्व पूरे देश ने गॉवर्द्धन पर्व मनाया है गोवर्धन का मतलब कोई पहाड़ नहीं बल्कि गोवर्धन का मतलब गोवंश का संवर्द्धन अर्थात गायों को बढ़ाना और यह इस देश में तभी सम्भव होगा जब भारत के सरकार गौ को राष्ट्रमाता का संवैधानिक सम्मान देगी। आचार्य सीता शरण जी ने कहा कि इस बार गोपाष्टमी को चौथी बार दिल्ली में होने वाले गौमाता-राष्ट्रमाता महाजनान्दोलन को सफल बनाने के लिए चारों पीठ के पूज्य शंकराचार्य देश के सभी धर्म गुरु संत समाज आचार्य गण समाजसेवी धर्मविद कार्यक्रम में पहुंचेंगे। साथ ही देवभूमि उत्तराखंड के कोने कोने से लाखों गौभक्त 20 नवम्बर को दिल्ली रामलीला मैदान में पहुंच रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद से आचार्य सुभाष जोशी पूर्व राज्यमंत्री ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि आज पूरे राष्ट्र की मांग है कि भारतीय संस्कृति की मूल आधार गौमाता को राष्ट्र माता का संवैधानिक सम्मान मिलना ही चाहिए तभी हिन्दू राष्ट्र की कल्पना सार्थक होगी और राष्ट्र समृद्ध होगा।