देहरादून। आय से अधिक संपत्ति मामले में घिरे उत्तराखंड के आईएएस रामविलास यादव आखिरकार हाईकोर्ट की फटकार के बाद बुधवार को देहरादून के विजिलेंस ऑफिस में पूछताछ के लिए पहुंचे। दोपहर 12ः48 बजे के आसपास एक प्राइवेट कार में अपने अधिवक्ता के साथ रामविलास विजिलेंस के दफ्तर में पूछताछ के लिए गए।
वहीं, विजिलेंस ऑफिस में पूछताछ के लिए पेश होते समय रामविलास यादव ने मीडिया के किसी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया और वो सीधे अंदर चले गए। यादव को विजिलेंस के मुख्य द्वार से पैदल पुलिस सिक्योरिटी के बीच पूछताछ के लिए अंदर ले जाया गया। उनके अंदर जाने के बाद मुख्य गेट को बंद कर दिया। मीडिया को बाहर ही रखा गया। बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में फंसे रामविलास यादव आगामी 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इससे पहले उन पर इस मामले में कानूनी शिकंजा तेज हो गया है। शासन से अनुमति मिलने के बाद मुकदमा दर्ज कर यादव की उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक बेनामी संपत्तियों पर विजिलेंस ने छापेमारी की कार्रवाई की थी।
बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में विजिलेंस लंबे समय से आईएएस रामविलास यादव से पूछताछ की मांग कर रही थी। लेकिन यादव विजिलेंस के समक्ष पेश नहीं हो रहे थे। इतना ही नहीं, यादव ने कोर्ट से अपनी गिरफ्तारी को लेकर स्टे की दरख्वास्त भी की थी, लेकिन कोर्ट ने पहले उन्हें विजिलेंस ऑफिस में जांच दस्तावेज पर जवाब तलब के लिए पेश होने के आदेश दिया।
इसी क्रम में यादव आखिरकार कोर्ट के निर्देश पर विजिलेंस के ऑफिस पूछताछ के लिए पहुंचे हैं। आईएएस रामविलास यादव के अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने कहा कि कोर्ट के आदेश अनुसार यादव विजिलेंस जांच में सहयोग के लिए पहुंचे हैं। उन्हें कई दस्तावेज लेकर यहां बुलाया गया था, जिसको जांच के सहयोग में लाया जाएगा। अधिवक्ता शर्मा ने कहा कि रामविलास पर लगाए गए आरोप किस आधार पर जांच के दायरे में आए ये बड़ा सवाल है। विजिलेंस को जिस भी दस्तावेजों में जांच चाहिए उसका पूरा सहयोग किया जाएगा और हर दस्तावेज और जांच का जवाब कोर्ट में उपलब्ध कराया जाएगा।
रामविलास लखनऊ विकास प्राधिकरण में लंबे समय तक तैनात रहे थे। उसके बाद एडिशनल डायरेक्टर मंडी परिषद रह चुके हैं। रामविलास सपा सरकार के बेहद करीबी अधिकारी थे, लेकिन यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद साल 2019 में वो यूपी से उत्तराखंड चले आए थे। आईएएस राम विलास यादव पर यूपी में लखनऊ विकास प्राधिकरण का सचिव रहते हुए आय से 500 गुना अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत कुमार मिश्रा की शिकायत पर उत्तराखंड शासन ने 9 जनवरी 2019 को उनके खिलाफ विजिलेंस में खुली जांच के आदेश दिए थे। यूपी की ओर से उत्तराखंड को सौंपे गए तमाम दस्तावेजों के आधार पर यादव के खिलाफ उत्तराखंड में भी विजिलेंस विभाग ने रिपोर्ट दर्ज की थी।