हरिद्वार। तीन दिवसीय सद्भावना सम्मेलन के अंतिम दिन समस्त जनमानस को संबोधित करते हुए सुविख्यात समाजसेवी राष्ट्र संत व उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि अध्यात्म के जागरण से ही भारत विश्वगुरु बनेगा। मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में ऋषिकुल कॉलेज मैंदान में चल रहे तीन दिवसीय सद्भावना सम्मेलन के अंतिम दिन गुरुवार को देश-विदेश से बड़ी तादाद में आये श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सुविख्यात समाजसेवी राष्ट्र संत और उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि जब व्यक्ति सत्संग सुनेगा, आत्मज्ञान की दीक्षा लेकर साधना करेगा, सेवा करेगा तभी अध्यात्मिक जागरण होगा। अध्यात्मिक जागरण होने के पश्चात, भारत विश्व को अध्यात्म का संदेश देगा और तब भारत विश्वगुरु बनेगा।
सतपाल महाराज ने सद्भावना सम्मेलन में देश-विदेश से आये विराट जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे संत-महात्माओं ने 4 अवस्थाओं का धर्म शास्त्रों में उल्लेख किया है। जाग्रत, स्वप्न ,सुषुप्ति और तुरिया संसार का हर प्राणी सोता है और तीनों अवस्थाओं में उसे संसार की वस्तुओं का आभास होता रहता है। प्रभु का उन अवस्थाओं में दर्शन नहीं होता है, जो तुरिया अवस्था समाधि की अवस्था व्यक्ति की एक जैसी होती है। उस अवस्था मे व्यक्ति को संसार का ध्यान नहीं रहता है। केवल वह प्रभु के वास्तविक स्वरूप से जुड़ जाता है। उसी समाधि अवस्था का सदियों से हमारे संत-महान पुरुषों ने समय-समय पर जिक्र किया है। तुरिया अवस्था समाधि की अवस्था होती है उसमें प्रभु के अध्यात्मिक ज्ञान शब्द ब्रह्म से जुड़ कर उसका अनुभव करना होता है। श्री महाराज जी ने कहा कि जब हम सच्चे नाम का सुमिरन करते हुए ,भजन करते हुए, प्रभु में समाहित हो जाते हैं तो हम संसार के भवसागर में डूबते नहीं है फिर हमारा जन्म मरण नहीं होता है, फिर हमारा उद्धार हो जाता है, हम सदा के लिए मुक्त हो जाते हैं। यही मार्मिक बातें हमारे संतों ने बताई हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु के नाम का सुमिरन करे ,जो भक्त होता है, साधक होता है वह गुरु महाराज के ज्ञान में विश्वास करता है। प्रभु के नाम सुमिरन से पूरे वातावरण को पवित्र करता है। सकारात्मक सोच को आगे लाता है। उससे धीरे-धीरे नकारात्मक विनाशकारी सोच खत्म हो जाती है। सद्भावना सम्मेलन में नेपाल की राजधानी काठमांडू से आए विशिष्ट अतिथियों ने सम्मिलित हो कर राष्ट्र संत सतपाल महाराज को अभिनंदन पत्र भी भेंट किया।